उद्देश्य एवं लक्ष्य

उद्देश्य एवं लक्ष्य

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जिनोमिक्स की स्थापना निम्न तथ्यों की स्वीकृति में की गई है

  • भारत में रोगों का महामारी विज्ञान प्रोफ़ाइल संक्रामक रोगों के घटते प्रसार और पुरानी बीमारियों के बढ़ते प्रसार के साथ लगभग दो दशक पहले से महत्वपूर्ण परिवर्तन दर्शा रही है
  • व्यक्तियों के स्वास्थ्य एवं रोग के निर्धारण में आनुवंशिक कारकों के शामिल होने के प्रमाण बढ़ रहे हैं, जिनमें संक्रामक रोगों की संवेदनशीलता भी शामिल है
  • ये आनुवंशिक कारक जीवन-शैली और अन्य पर्यावरणीय कारकों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, और
  • भारत में कोई भी संस्थान स्पष्ट रूप से बायोमेडिकल जिनोमिक्स में अनुसंधान, रूपांतरण और सेवा (आनुवंशिक परीक्षण और जिनोमिक निदान सहित) तथा क्षमता निर्माण के प्रति समर्पित नहीं है।

भारत में अधिक फैलनेवाली बीमारी के कारण कारकों में भौगोलिक और प्रजातीय भिन्नता की एक व्यवस्थित और स्पष्ट समझ तथा आनुवंशिकी और पर्यावरणीय कारकों के बीच अंत:क्रिया का गहन आकलन सबसे महत्वपूर्ण है। सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए प्रमुख प्रासंगिकता के इन मापदंडों को समझने और अनुमान लगाने के बढ़ते प्रयासों में भारत में बड़ा अंतर है। आनुवंशिक और सांस्कृतिक रूप से सजातीय अलग-थलग आबादी को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है, ताकि आम पुरानी बीमारियों को समझा और विच्छेदन किया जा सके, जो कि ऐसी बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक पूर्वापेक्षा है। भारत आनुवंशिक रूप से अमिश्रित जनसंख्या समूहों की अपेक्षाकृत बड़ी संख्या के साथ आनुवंशिक महामारी विज्ञान के अध्ययन के संचालन के लिए एक अनुकूल आधार है। इसके अलावा, भारत में परिवार का आकार बड़ा बना हुआ है और व्यक्तियों की भौगोलिक गतिशीलता अभी भी अपेक्षाकृत कम है; न केवल भारत में बल्कि कई अन्य वैश्विक क्षेत्रों में आम बीमारियों के आनुवंशिकी और महामारी विज्ञान की गहन समझ प्रदान करने के लिए ये दोनों कारक बहुत उपयोगी हैं। इस प्रकार, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जिनोमिक्स न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी दवा और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करेगा।

"जिनोमिक्स एंड ग्लोबल हेल्थ रिपोर्ट 2004" ने इस बात पर बल दिया है कि जिनोमिक्स- मानव जिनोम प्रोजेक्ट द्वारा ऊर्जित स्वास्थ्य संबंधी जीव विज्ञान की शक्तिशाली नई लहर और इसके द्वारा उत्पन्न होने वाले ज्ञान उपकरण, एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र है, लेकिन विकासशील देशों में, यदि हम चुनौती का सामना करते हैं, इसमें स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने की जबरदस्त क्षमता है। एनआईबीएमजी इस चुनौती का सामना करना चाहता है।

डीएनए आधारित परीक्षणों की उपलब्धता और आनुवंशिकी जानकारी और सलाह के लिए रोगियों की मांग में वृद्धि के लिए आवश्यक है कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों को आनुवंशिक रूप से साक्षर बनने की आवश्यकता होगी। जिनोमिक दवा कुछ कैंसर की पुर्वानुकूलता एवं कैरियर स्क्रीनिंग के लिए परीक्षणों तथा सामान्य पुनरावर्ती विकारों जैसे थैलेसीमिया और अन्य हीमोग्लोबिन विकारों ; सिस्टिक फाइब्रोसिस आदि के नैदानिक परीक्षणों की उपलब्धता के जरिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में प्रवेश करना शुरू कर रही है। एनआईबीएमजी जिनोमिक चिकित्सा में अनुसंधान निष्कर्षों के रूपांतरण को बढ़ावा देगा।

भारत में कोई भी संस्थान स्पष्ट रूप से बायोमेडिकल जिनोमिक्स में क्षमता निर्माण तथा एक अंतःविषय और एकीकृत तरीके से बायोमेडिकल जिनोमिक्स में बुनियादी, नैदानिक और अनुवाद संबंधी अनुसंधान के संचालन के प्रति समर्पित नहीं है। एनआईबीएमजी में एक अंतःविषय बुनियादी ढांचा होगा जो बायोमेडिकल जिनोमिक्स में अग्रणी अनुसंधान और अनुप्रयोगों तथा विद्यार्थियों और वैज्ञानिकों को चिकित्सा-आनुवंशिक अनुसंधान, रूपांतरण और सेवा में प्रशिक्षण के लिए आवश्यक है।

उद्देश्य

  • राष्ट्र के लिए वर्तमान और भविष्य की चिकित्सा प्रासंगिकता के बायोमेडिकल जिनोमिक्स में अत्याधुनिक अनुसंधान का संचालन और प्रोत्साहन।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों और सेवाओं की बेहतरी के लिए बायोमेडिकल जिनोमिक दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए बुनियादी शोध साक्ष्य प्रदान करना।
  • जीनोमिक ज्ञान और प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के स्पष्ट लक्ष्य के साथ जिनोमिक और प्रोटिओमिक विश्लेषण के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे की स्थापना करना।
  • अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में जिनोमिक्स के बुनियादी ढांचे की स्थापना के माध्यम से बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विषयों के चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के बीच अनुसंधान, शिक्षा, अनुवाद और सेवा नेटवर्क का बीजारोपण करना।
  • विशेषज्ञता स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों, विशेषज्ञता प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी, ह्यूमन जेनेटिक्स, मोलेक्यूलर एवं जेनेटिक एपिडेमिओलॉजी के जरिए राष्ट्र धरा पर युवा प्रतिभाओं को खड़ा करना तथा बायोमेडिकल जिनोमिक्स में क्षमता निर्माण करना तथा जेनेटिक्स आधारित स्वास्थ्य सेवा के संवर्द्धन के लिए अनुसंधान, रूपांतरण और सेवाओं में उनकी प्रारंभिक भागीदारी की सुविधा प्रदान करना।
  • विश्वविद्यालय/डिम्ड विश्वविद्यालय के साथ अकादमिक संबद्धता या डिग्री प्रदान करने के लिए डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त करना।
  • स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं द्वारा तेजी से लेकिन अधिक भेदभावपूर्ण अपटेक की अनुमति देने के लिए नई चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी की बेहतर समझ को सक्षम बनाना।